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ऐथलेटिक्स में लगातार गोल्ड हासिल करके इतिहास रच रहीं hima das का नाम आज सभी की जबान पर है। एक महीने के भीतर उन्होंने 5 गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। हिमा की कहनी भी काफी दिलचस्प है। 18 साल की हिमा असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हैं और इसीलिए उन्हें 'ढिंग एक्सप्रेस' के नाम से भी जाना जाता है। 18 साल की हिमा ने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा है। वह एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी
हिमा के पिता असम के नौगांव जिले के ढिंग गांव में रहते हैं। पिता रंजीत दास के पास मात्र दो बीघा जमीन है। इसी जमीन पर खेती करके वह परिवार के सदस्यों की आजीविका चलाते हैं। हिमा किसी भी जीत के समय अपने परिवार के संघर्षों को याद करती हैं और उनकी आंखों से आंसू छळक पड़ते हैं। हैरान रह गए थे कोच
हिमा दास ने जिला स्तर की स्पर्धा में सस्ते जूते पहनकर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल हासिल किया। यह देखकर निपुन दास हैरान रह गए। उनकी गति अद्भुत थी। निपुन दास ने उनको धावक बनाने की ठान ली और गुवाहाटी लेकर गए। कोच ने उनका खर्च भी वहन किया। शुरू में उन्हें 200 मीटर की रेस के लिए तैयार किया गया। बाद में वह 400 मीटर की रेस भी लगाने लगीं।
हिमा के पिता असम के नौगांव जिले के ढिंग गांव में रहते हैं। पिता रंजीत दास के पास मात्र दो बीघा जमीन है। इसी जमीन पर खेती करके वह परिवार के सदस्यों की आजीविका चलाते हैं। हिमा किसी भी जीत के समय अपने परिवार के संघर्षों को याद करती हैं और उनकी आंखों से आंसू छळक पड़ते हैं। हैरान रह गए थे कोच
हिमा दास ने जिला स्तर की स्पर्धा में सस्ते जूते पहनकर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल हासिल किया। यह देखकर निपुन दास हैरान रह गए। उनकी गति अद्भुत थी। निपुन दास ने उनको धावक बनाने की ठान ली और गुवाहाटी लेकर गए। कोच ने उनका खर्च भी वहन किया। शुरू में उन्हें 200 मीटर की रेस के लिए तैयार किया गया। बाद में वह 400 मीटर की रेस भी लगाने लगीं।
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