भील जनजाति करीब 30 वर्षों से भी अधिक समय से भील प्रदेश राज्य बनाने के लिए आंदोलन कर रही है , भील प्रदेश काफी पुराना मामला है , पहले जन्हा जंहा भीलों का शासन था , अथवा भीलों की जनसंख्या अधिक थी वह क्षेत्र भील प्रदेश कहलाता था , लेकिन जैसे जैसे भीलों का राजपाठ छीना गया , वैसे ही भील प्रदेशों के नाम बदल दिए गए । प्राचीन समय में भील देश विस्तृत क्षेत्र में फैला था । भील देश हिमालय क्षेत्र , उत्तराखंड , उत्तरप्रदेश ,बिहार , नेपाल ,बांग्लादेश , राजस्थान , मध्यप्रदेश , झारखंड , छत्तीसगढ़ , गुजरात , मध्यप्रदेश , पूर्वी मध्यप्रदेश, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश के बड़े भाग शामिल थे ।
संविधान का अनुच्छेद 342:
जनजातियों या जनजातीय समुदायों या जनजातियों या जनजातीय समुदायों में समूहों के कुछ हिस्सों के विनिर्देश से संबंधित प्रावधान प्रदान करता है, जिन्हें उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में संविधान के अनुसूचित जनजातियों के उद्देश्यों के लिए माना जाता है।
इन प्रावधानों के अनुसरण में, अनुसूचित जनजातियों की सूची प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिए अधिसूचित की जाती है और केवल उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के अधिकार क्षेत्र के अंदर, बाहर नहीं।
भील अलग राज्य की मांग क्यों कर रहे हैं?
अपनी ज़मीन पर आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए, समुदाय के लोग उस ज़मीन के पुनः अधिग्रहण ’की माँग कर रहे हैं जहाँ से उन्हें पलायन करने पर मजबूर किया गया था।
अलग राज्य की मांग राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात की आदिवासी बेल्ट से आयी है।
संबंधित सरकार की ओर से लगातार लापरवाही
जनजातियां, जिनके जीवनयापन का स्रोत ऐतिहासिक रूप से प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किया जाता रहा है, आर्थिक स्थिरता के नए तरीकों में समाहित होने की कोशिश कर रहे हैं।
भील प्रदेश गाना
भील आदिवासी प्रदेश,
भील प्रदेश राज्य नक्शा,
भील आदिवासी प्रदेश की मांग
Credit
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