Balveer singh nayak. Ke hathon se hui gajanvi ki martu.nayak samaj history - भारत के मुल निवासी

शनिवार, 5 दिसंबर 2020

Balveer singh nayak. Ke hathon se hui gajanvi ki martu.nayak samaj history

नायक विद्रोह 

1280 में भारत पर मुसलमानी साम्राज्य के बढ़ते हुए प्रभाव को देखकर नायक दल में एकदम ज्वाला भड़क उठी थी क्योंकि नायक सैनिकों को उस पर उस समय का भी भयानक दुख था जो उस आक्रमण काल से ही मुसलमान लोग क्षेत्रीय वर्ग हिंदू धर्म को नष्ट भ्रष्ट करते आ रहे थे मोहम्मद गजनबी मोहम्मद गोरी मोहम्मद बिन साबुद्दीन अलाउद्दीन खिलजी कुतुबुद्दीन ऐबक आदि ने हिंदू धर्म का पतन किया






 1280 में इस्लामी मत के झंडे को देखकर नायक क्षत्रिय वीर फिर से एकत्रित हुए जो लगभग दो लाख के लगभग नायक थे जिन्होंने उसे इस्लामी साम्राज्य के गवर्नर को मिटाकर भारत में स्वतंत्र हिंदू धर्म का ही राज्य करना चाहते थे इस ध्यय को लेकर नायक लोगों ने उनके विरुद्ध विद्रोह आरंभ कर दिया दिल्ली के आसपास के बाद से तथा भारत के कोने-कोने से नायक विद्रोह आरंभ हुआ और अपनी-अपनी टुकड़ियों को लेकर भारत के हर एक स्थानों पर इस्लाम धर्म के विरुद्ध विद्रोह आरंभ हुआ इस विद्रोह में चौहान वंश जी पंवार वंश जी तवर वंश भाटी वंश से चालू और परिहार आदि नायक क्षेत्रीय के जत्थे थे जो सांवरिया चौहान मलख ट रोज पवार तेवर सर सर भाटी परिवार को कर चंडालिया आदि ने एकत्रित होकर उस गवर्नर हुकूमत के विरुद्ध विद्रोह किया उस नायक विद्रोह को उन्नत होता देखकर दिल्ली के गवर्नर कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने बादशाह गजनवी को खबर पहुंचाई विद्रोह का संदेश पहुंचते ही तुरंत मोहम्मद बिन भारत आया वह भारत की राजनीति का पूरा ज्ञाता और रण क्षेत्र का बड़ा भारी चतुर खिलाड़ी योद्धा था जिसने एक बड़ा भारी धोखे का जाल बना कर तैयार किया ताकि नायक लो ग उसमें आसानी से पा सके अगले रोज उन्नायक मुख्य को दिल्ली साईं दरबार में बुलाया गया उत्साही हुकम के मिलन पर उस नायक दल के मुखिया के  जसवंत राय भानु प्रताप इंद्रसेन ढोकल राम लाल जी और फतेह सिंह थे उन्होंने साफ इनकार किया कि हम लोग तो मरना और मारना जानते हैं पीछे हटना और झुकना नहीं जानते इस बात पर मोहम्मद ने उनको चक्कर में फंसा लिया बहुतों को मुसलमान बना दिया बलवीर नायक अपनी टुकडी लेकर जेलम नदी के किनारे पर गया हुआ था उसने यह पता नहीं था कि नायक लोग इस्लाम के अनुयाई बन गए हैं वह अपने पिछले विश्वास पर उस नदी के किनारे बैठा हुआ था उस नायक विद्रोह को शांत करके वापस लौटाया 1205 से 1206 ईस्वी तक शांत किया परंतु आगे जेलम नदी के किनारे पड़ी हुई थी जब बलविर सिंह नायक की नजर गजनवी पर पड़ी तो बड़ा भारी घमासान युद्ध हुआ अंत में बलवीर सिंह के कर कमलों द्वारा की मृत्यु हुई 
अगर आप ये लेख देखना चाहते हैं तो विश्वनाथ जी के गोल्डन इतिहास भारतवर्ष के पेज नंबर 101 पर देखें


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