Rana punja bhil history in Hindi - भारत के मुल निवासी

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

Rana punja bhil history in Hindi

भारत के आदिवासी महायोद्धा, छापामार युद्ध के जनक, भोमट के राजा, #राणा_पूंजा_भील जी होलकि गोत्र की #जयंती पर उन्हें मेरा कोटि कोटि सादर नमन💐🙏
राणा पूंजा भील भोमट के राजा थे। वह अपनी बहादुरी कुशल नेतृत्व और देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं।


#राणा_पूंजा_भील , अरावली पर्वतमाला में स्थित भोमट क्षेत्र के राजा थे , उन्होंने मजबूत सेना का गठन कर रखा था , उनकी शक्ति को देखते हुए ही , मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और मुगल शासक अकबर के संरक्षक बेरम खां ,राणा के पास सहायता लेने पहुंचे । भीलो की सहायता से ही हल्दीघाटी युद्ध 24 वर्षों तक चला । राणा पूंजा भील के योगदान के फलस्वरूप ही मेवाड़ के चिन्ह में उन्हें अंकित किया गया है , साथ साथ राणा पूंजा के नाम से पुरस्कार वितरित किया जाता है और कॉलेज और विद्यालयों की स्थापना की गई है #आरंभिक_जीवन राणा पूंजा का जन्म 5 अक्टूबर पानरवा के मुखिया दूदा होलंकी के परिवार में हुआ था इनके दादा राणा हरपाल थे।उनकी माता का नाम केहरी बाई था, उनके पिता का देहांत होने के पश्चात 15 वर्ष की अल्पायु में उन्हें पानरवा का मुखिया बना दिया गया। यह उनकी योग्यता की पहली परीक्षा थी, इस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर वे जल्दी ही भोमट के राजा’ बन गए।
#हल्दीघाटी_का_युद्ध 1576 ई. में मेवाड़ में मुगलों का संकट उभरा।मेवाड़ तक पहुंचने के लिए मुगलों को राणा पूंजा के क्षेत्र से होकर जाना था लेकिन राणा के राजकीय क्षेत्र से होकर जाना आसान नहीं था, इसलिए तत्कालीन समय के सबसे ताकतवर राजा के नितिकार एवं संरक्षक बैरम खां और मेवाड़ के महाराणा प्रताप दोनों ही भोमट के राणा पूंजा के पास सहयोग लेने पहुंचे। मुगलों ने राणा पूंजा को धन-दौलत देकर मुगल सम्राट अकबर का साथ देने को कहा तो वही महाराणा प्रताप ने बप्पा रावल की तलवार राणा पूंजा के समक्ष रखते हुए मेवाड़ का साथ देने को कहा।इस संकट के काल में महाराणा प्रताप ने राणा पूंजा का सहयोग मांगा। राणा पूंजा ने मुगलों से मुकाबला करने के लिए मेवाड़ के साथ खड़े रहने का निर्णय किया। महाराणा को वचन दिया कि राणा पूंजा भील और सभी भील भाई मेवाड़ की रक्षा करने को तत्पर है। इस घोषणा के लिए महाराणा ने राणा पूंजा को गले लगाया और अपना भाई कहा। 1576 ई. के हल्दीघाटी युद्ध में राणा ने अपनी सारी ताकत देश की रक्षा के लिए झोंक दी । हल्दीघाटी युद्ध में भील राज राणा पूंजा भील ने अहम भूमिका निभाई, हल्दीघाटी युद्ध के अनिर्णय रहने में राणा पूंजा भील का अहम योगदान रहा। इस युद्ध के बाद महाराणा प्रताप राणा पूंजा भील के साथ रहे।
राणा पूंजा भील के इस युगों-युगों तक याद रखने योग्य शौर्य के संदर्भ में ही मेवाड़ के राजचिन्ह में भील प्रतीक अपनाया गया है। जोहार जय भीलप्रदेश 

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