bhilo ki ek pukar - भारत के मुल निवासी

मंगलवार, 25 जून 2019

bhilo ki ek pukar

लोग कहते हैं आदिवासी जंगल और पहाड़ में भटक रहा है, 
गलती कर रहे ये बोलकर, यह हमारा जीवन है हम यहां पले बड़े है प्रकृति 
हमारा जीवन है, आकर देखो यहां कोई वर्ण व्यवस्था नहीं है यहां 
कोई जाता नहीं है, सब बराबर है। महिला और पुरुष 
अक्सर आदिवासी को जंगल कहने वाले ये भूल जाते हैं की इस दुनिया की सारी सरकारे 
और उन्हें चलने वाली बड़ी बड़ी कंपनिया सब पूरी दुनिया में आदिवासियों के जंगल और पहाड़ो 
के पीछे क्यों पड़ी हुई है 
उन्हें पता है है सारा खनिज, साडी सुंदरता आदिवासियों के जल, जमीन और जंगल में है 
दुनिया का असली अध्यात्म भी यही बसता है आदिवासियों के बीच। जंगल में 
पढ़ते हुए एक बार आदिवासी महादेव शिव के बारे में अध्यात्म वही से शुरू हुआ है 
वैसे ही अगर नहीं समझ में आया तो कोई बात नहीं हर तुम्हें के बस का नहीं होता है। आदिवासियों को 
एक आदिवासी को समझना

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