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आप जब सिंधु काल खण्ड की सामाजिक संरचना, उनके बाद के वर्षों का जीवन, ईसा के 500 साल पूर्व के सालो में जो श्रेष्ठ आचरण रखता था उसको सामाजिक रूप से नायक कहा गया, बुध्द के भिक्खु संघ में भी संघ नायक रहे है जो नेतृत्व प्रदान करते थे, नाग या द्रविड़ सभ्यता में भी नायक रहा है,
कालांतर में आदिवासी सरदारों के मुखिया को नायक कहा गया, भीलो का मुख्या भी सिर पर नाग टोटम धारण करके गणनायक कहलाता है, राजाओ की सेना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सेना नायक कहा गया, भारत की सेना में भी नायक पदवी रही है, सभ्य व विकसित समाज ने के नेतृत्व करने वालों को नायक कहा गया,,, कुल मिला कर जो हर तरह से यानी बल,बुद्धि,समझ,व्यवहार आदि में जो श्रेष्ठ थे उनको नायक की पदवी मिली, जिसके कोई मापदण्ड रहे। जो अपने आप मे श्रेष्ठता के घोतक है।
अगर हमें आज उच्चतम स्तर पर पहुंचा है तो जरूरी है समाज मे नैतिकता मूल्य स्थापित हो, जरूरी है समाज सभ्य आचरण का पालन करे, जरूरी है हर प्राणियों व जीवो के साथ अच्छा व्यवहार करें। जरूरी है शील पालन करें, जरूरी है नशे आदि से दूर रहे।
तभी सच्चे अर्थों में नायक है।
जो आचारण से श्रेष्ठ है।
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आप जब सिंधु काल खण्ड की सामाजिक संरचना, उनके बाद के वर्षों का जीवन, ईसा के 500 साल पूर्व के सालो में जो श्रेष्ठ आचरण रखता था उसको सामाजिक रूप से नायक कहा गया, बुध्द के भिक्खु संघ में भी संघ नायक रहे है जो नेतृत्व प्रदान करते थे, नाग या द्रविड़ सभ्यता में भी नायक रहा है,
कालांतर में आदिवासी सरदारों के मुखिया को नायक कहा गया, भीलो का मुख्या भी सिर पर नाग टोटम धारण करके गणनायक कहलाता है, राजाओ की सेना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सेना नायक कहा गया, भारत की सेना में भी नायक पदवी रही है, सभ्य व विकसित समाज ने के नेतृत्व करने वालों को नायक कहा गया,,, कुल मिला कर जो हर तरह से यानी बल,बुद्धि,समझ,व्यवहार आदि में जो श्रेष्ठ थे उनको नायक की पदवी मिली, जिसके कोई मापदण्ड रहे। जो अपने आप मे श्रेष्ठता के घोतक है।
अगर हमें आज उच्चतम स्तर पर पहुंचा है तो जरूरी है समाज मे नैतिकता मूल्य स्थापित हो, जरूरी है समाज सभ्य आचरण का पालन करे, जरूरी है हर प्राणियों व जीवो के साथ अच्छा व्यवहार करें। जरूरी है शील पालन करें, जरूरी है नशे आदि से दूर रहे।
तभी सच्चे अर्थों में नायक है।
जो आचारण से श्रेष्ठ है।
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