वर्तमान मे जहा पिछोला झील बनी हुई है वहा पहले नायको के ठीकाने थे।एसी दन्त कथाए परचलित है ।
नायकवाडा और बनजारीया गाव के नायक आज भी बडे गर्व से कहते है।इसके अतिरिक्त मेवाड के अनेक नायक अधिपतीयो के ठिकाने मिलते है उन ठिकानो के नायक अधिपतीयो के युद्ध वीर और दान वीर होने के प्रमाण आज भी ताम्र पत्रो मे उपलब्द है।मेवाड मे जयसन्द झील के पास वीर पुर गाव मे किसना के पास कुछ ताम्र पत्र मिले थे।जिन्हे राजपुताना म्युजियम अजमेर की सन 1928 की रिपोर्ट मे छापा गया था।उसमे वर्णन है कि नायक लाखु के पुत्र सहदेव नायक बागडसिह नायक जोहड नायक लक्ष्मण के पुत्र नरपत अनेक अधिपतियो ने ब्राहम्णो को भुमी दान कि थी।औझा निबन्ध सग्रह भाग 2 मे इसका उल्लेख है।
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नायकवाडा और बनजारीया गाव के नायक आज भी बडे गर्व से कहते है।इसके अतिरिक्त मेवाड के अनेक नायक अधिपतीयो के ठिकाने मिलते है उन ठिकानो के नायक अधिपतीयो के युद्ध वीर और दान वीर होने के प्रमाण आज भी ताम्र पत्रो मे उपलब्द है।मेवाड मे जयसन्द झील के पास वीर पुर गाव मे किसना के पास कुछ ताम्र पत्र मिले थे।जिन्हे राजपुताना म्युजियम अजमेर की सन 1928 की रिपोर्ट मे छापा गया था।उसमे वर्णन है कि नायक लाखु के पुत्र सहदेव नायक बागडसिह नायक जोहड नायक लक्ष्मण के पुत्र नरपत अनेक अधिपतियो ने ब्राहम्णो को भुमी दान कि थी।औझा निबन्ध सग्रह भाग 2 मे इसका उल्लेख है।
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