तंट्या भील का अनोखा इतिहास - भारत के मुल निवासी

रविवार, 6 जून 2021

तंट्या भील का अनोखा इतिहास

तंट्या भील कोन था ?

वीर तंट्या भील महान क्रांतिकारी तंट्या भील उर्फ तंट्या मामा का जन्म मध्यप्रदेश के तत्कालीन पूर्व निमाड प्रदेश तथा वर्तमान खंडवा जिला के बिरडा गांव में हुआ । माँ का नाम जानकी और पिता का नाम भावसिंग । तंट्या को स्कूली शिक्षा की कोई सुविधा नही थी परंतू मानवतावादी मुल्य संस्कार से उसे वास्तविकता की शिक्षा मिली । सन १८५७ , स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजी साम्राज्यवाद सत्ताद्धारे शोषण- अन्याय चरणसिमा में पहोच चुका था और दमनकारी महौल बना था । इसके विरुध्द में तंट्याने लढाई शुरु की । तंट्या को जानभुजकर गुंडा , बदमाश , गुनाहगार , लुटेरा ठहराया गया और जेल भेजा गया ।


तंट्या भील की फोटो 






 २४ डिसंबर १८७८ में तंट्या जेल की दिवार तोडकर भाग निकला । फिर उसने अंग्रेज सत्ता के खिलाफ लोगों को संघटीत करने का काम जोर से शुरु किया । पुलीस की वेशभुषा में वो अंग्रेजो को मदत करने वाले सेठ , साहकार और जमिनदारों को लुटकर गरीबों में बाटता और संघटन बढाता था । तंट्याने नवजवानों की फौज तैयार करके १० वर्ष तक आंदोलन का सफल नेतृत्व किया । तंट्या अंग्रेजो पर हावी हो गया । उसे पकड़ने के लिए रु . १०५०० / - का इनाम रखा गया । फिर भी वह पुलीस के हाथो नही लगता था । इसलिए उसे पकडने हेतू इंग्लंड से खास एक अफसर को बुलवाया गया । तंट्या को इस बात का ज्ञात हुआ । तुरंत उसने हमाल ( कुली ) की वेषभुषा में उस अफसर को लेने खुद रेल स्टेशन पहूँचा । अफसर को लेकर जंगल के रास्ते चल पडा । चलते चलते तंट्या अफसर को पुछता था की आपको तंट्या के बारे में क्या पता है ? वो कैसा है ? उसे कैसे पकडोगे ? इसपर अफसर बोला की तंट्या बहुत खतरनाक है । उसे पकडना नामुमकीन है , लेकीन जरुर कोशीश करेंगे । उसीवक्त तंट्या उसके सामने खडा होकर सिना तानकर बोला मै ही हूँ तंट्या , पकड के दिखावों मुझे इससे अफसर की ऐसी की तैसी हो गयी । तंट्याने उसे मारा नही , क्योकी तंटया मानवतावादी था ।

तंट्या भील का पकडे जाना 

 आखीर तंट्या के साथ विश्वासघात हुआ । गांव के गणपत पटेल ने राखी बंधवाने के बहाने तंट्या को उसके घर बुलाया । तंट्याने हाथ आगे किया और पहले से ही घर में छुपे हो अंग्रेजो ने तंट्या को पकडकर हाथकडीया पहनाई । तंट्या को जबलपूर के जेल में रखा गया और वहापर ही ४ दिसंबर १८८ ९ को तंट्या भील उर्फ तंट्या मामा को फाँसी दी गयी । इस तरह एक आदिवासी झंझावत का अंत कर दिया गया । अंग्रेजो ने तंट्या के बारे मे लिखा की तंट्या को रॉबीनहड जैसे करारी , साहसी और मानवतावादी क्रांतीकारी बताया । लेकीन हमारे इतिहासकारोंने तंट्या भील का सही इतिहास लिखा नहीं । तंट्या की याद में मध्यप्रदेश के मह शहर के पातालपानी रेल स्टेशन स्थीत उनका स्मारक है । इस स्टेशन से गुजरनेवाली हर रेलगाडी यहा रुकती और यात्री इस महान वीर शहीद को विना ( ये जो तस्वीर है , वो अंग्रेजों की फोटोग्राफ है । ) अभिवादन करते है । 

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