नायक शब्द की उत्पत्ति नायक पद एव जाति
Nayak vansh ka itihaas
नायक का मूल अर्थ स्वामी शक्तिशाली एवं प्रक्रम मुखिया से होता है संस्कृत भाषा की नी धातु में अंक प्रत्यय लगाकर नायक शब्द बनता है वास्तव में अगर देखा जाए तो यह सब अति प्राचीन आर्य परंपरा से बना हुआ है आर्य पूर्व परंपरा से नायक शब्द में विशेष गुण है
इसलिए लिया गया है
शिव ने अपने सेनापति वीरभद्र को नायक की उपाधि दी सर्वप्रथम वीरभद्र राजा दक्ष का यज्ञ को नष्ट कराया था धनलक्ष्मी के अधिपति कुबेर को नायक की उपाधि से नवाजा भगवान शिव ने और वाराणसी में राजा स्थापित किया था शिव पुराण पुराण में उल्लेख है कि नायक अति प्राचीन आदिशक्ति के प्राचीन मानव से संबंधित है प्राचीन मानव नाग काले सांप को अपने तक पूर्वज का अवतार मानते थे और एक रचनात्मक अति प्राथमिक शिक्षा स्मृतियों देवता के समान बैंकर मानकर उसकी पूजा करते थे और असीम श्राद्ध रखते थे
यही कारण है कि नाग गई आदिम जातियों का टोटल अर्थात जाती है प्रतीक बन गया जाते स्वयं नाग नाम से जाने जाने लगी नाग यक्ष लोग एक ही प्रजाति के हैं और वे अपने अतीत अधिपति नायक शिव के पार्षद बने और भगवान शिव के अंगरक्षक रहे मानव जाति का आकदम कम होने के कारण ही नाग देव महादेव शिव का स्वरूप हो गया उसके गले का हार बन गया इतना ही नहीं भगवान शिव के स्वयं का नाम भी नाग हो गया शास्त्रों में और शब्दकोश में आदि देव महादेव शिव के नाम और यक्ष यक्ष भी कहा जाता है शिव पुराण में नागराज शिव के इस अवतार की कथा है समुद्र मंथन के बाद असुरों को हरा कर देवता गर्व करने लगे तब शिव ने यक्ष का रूप धारण करके देवताओं को ललकारा और धरती में तिनका गाढ कर कहा कि तुम में से कोई तिनके को उखाड़ देगा उसे मैं युद्ध कर लूंगा लेकिन देवता तिनके को नहीं उखाड़ पाए और शिव को अपना नायक स्वीकार कर लिया तो दोस्तों आज के नायक वंश के इतिहास में बस इतना ही पोस्ट आपको कैसी लगी कमेंट कर जरूर बताना और अगर इस ब्लॉग पर नए आए हैं तो इस ब्लॉग को सब्सक्राइब कर लीजिए जो साइड में घंटे का निशान दिखाई दे रहा है या नीचे कमेंट बॉक्स में अपना ईमेल डालकर को सब्सक्राइब करें ताकि आपको जब मैंने पोस्ट डालूंगा तब सुचना मिल जाए
धन्यवाद
Santustpurn jankari nhi h
जवाब देंहटाएंThanks mere bhai jaan
जवाब देंहटाएंThanks 😊
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