बस्तर की देव मड़ाई या जतरा, बस्तरियों का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें ग्राम देवी,देवता,माता,डांड,पाट और अन्य महत्वपूर्ण देवी-देवताओं को सम्मान दिया जाता है।
कोंडागाँव क्षेत्र का बयानार भी अपनी अनोखी परंपराओं का सदियों से अक्षरतः पालन करता आ रहा हैं।
सबसे बड़े देवता के रूप में आंगा होते हैं, उनके पुत्र को कोला या गुटाल कहा जाता है,बयानार क्षेत्र में "पंडी तादो" महत्वपूर्ण देवता के रूप में स्थापित हैं, जो गुटाल देव हैं। इनके पिता "कुंवर डोकरा",चेरंग गाँव में है, जो आंगा देव हैं।
ख़ैर... आज की युवा पीढी पारंपरिक ज्ञानर्नजन के इतर दूसरी विधाओं की ओर ज़्यादा आकर्षित है,जिसके कारण बस्तर की पुरातन परंपराएं दम तोड़ रही हैं।
आपको जब भी अवसर प्राप्त हो इन मेले-मंडाई को ज़रूर देखें, आपको पारंपारिक ज्ञान, संगीत,नृत्य के अतिरिक्त प्रकृति से सामंजस्य की झलक दिखेगी।
very nice information sir
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