हल्दी बाई भील का इतिहास
आदिवासी नारी शक्ति महापराक्रमी वीरांगना
*18 जून 1576* के दिन (खमनोर की घाटी/ हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड़ के आत्मसम्मान के रक्षा के लिए लड़ते हुवे ।
पहला रक्त व अपने प्राणों का बलिदान देने वाली एक मात्र महिला वीरांगना हल्दीबाई भील ही थी।
हल्दीबाई भील के बलिदान की वजह से ही खमनोर की उस घाटी को हल्दीबाई भील के सम्मान में हल्दीघाटी कहा जाने लगा ।
लेकिन विडम्बना यह है, कि इतिहास कारो ने
अपनी अस्मिता और मातृभूमि की खातिर अपना बलिदान देने वालो को कहीं उचित स्थान नहीं दिया गया।
बल्कि उनको भुला कर उनका अस्तित्व ही मिटाने की कोशिश की गई।
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